वर्षों से भारत राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर समग्र आपदा जोखिम न्यूनीकरण (डीआरआर) तंत्र स्थापित करने में सक्षम रहा है । आपदा जोखिम प्रबंधन के कार्यान्वयन के लिए कानूनी तंत्र और संस्थागत ढांचा धीरे-धीरे जड़ें जमा रहा है । आपदा जोखिम न्यूनीकरण एक उलझा हुआ विकास सम्बन्धी मुद्दा होने के कारण इसके समाधान के लिए राजनीतिक और कानूनी प्रतिबद्धता, वैज्ञानिक ज्ञान, सुविचारित विकास योजना, प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग, कानून लागू करने, सामुदायिक भागीदारी, पूर्व चेतावनी प्रणाली और प्रभावी आपदा तैयारी और प्रतिक्रिया तंत्र की आवश्यकता होती है । रोकथाम की संस्कृति विकसित करने के लिए एक अनुकूल वातावरण को बढ़ावा देने और एक भागीदारी पूर्ण निर्णय लेने की प्रक्रिया द्वारा राष्ट्रीय से स्थानीय स्तर तक, विभिन्न क्षेत्रों में और सभी स्तरों पर विकास योजना में आपदा प्रबंधन के एकीकरण को सुगम बनाने के लिए ठोस उपायों को समाहित करने की आवश्यकता है ।
इस लक्ष्य को प्राप्त करने के उद्देश्य से, भारत सरकार ने 26 फरवरी 2013 के संकल्प संख्या 47-31/2012-डीएम-III के तहत आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए एक बहु-हितधारक राष्ट्रीय मंच (एनपीडीआरआर) का गठन किया है । राष्ट्रीय मंच का उद्देश्य सरकार, सांसदों, महापौरों, मीडिया, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, गैर सरकारी संगठनों, स्थानीय समुदाय के प्रतिनिधियों, वैज्ञानिक और शैक्षणिक संस्थानों और कॉर्पोरेट व्यवसायों आदि से भारत के आपदा जोखिम से सम्बन्द्ध समुदाय की पूरी श्रृंखला को एक साथ लाना है । यह अनुभवों, विचारों और दृष्टिकोणों को साझा करने, अनुसंधान और कार्रवाई तथा आपदा जोखिम न्यूनीकरण के क्षेत्र में आपसी सहयोग के अवसरों का पता लगाने में मदद करेगा । राष्ट्रीय मंच से प्राप्त परिणाम डीआरआर पर हमारी भविष्य की राष्ट्रीय कार्य योजनाओं के निर्माण के लिए एक रणनीतिक दिशा और एक रोड मैप प्रदान करेंगे ।
भारत सरकार आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में विभिन्न हितों का प्रतिनिधित्व करने वाले लोगों सहित केंद्र और राज्य सरकारों और हितधारकों की सक्रिय भागीदारी के साथ आपदा प्रबंधन में निर्णय लेने की एक भागीदारीपूर्ण प्रक्रिया विकसित करने की आवश्यकता को स्वीकार करती है । इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए एक संस्थागत तंत्र न केवल पूरे देश में आपदा प्रबंधन संरचना और संस्थानों को मजबूत करेगा, बल्कि लोगों के व्यापक हित में संघीय राजनीति और लोकतांत्रिक शासन को भी मजबूत करेगा ।
तदनुसार, आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए एक बहु-हितधारक और बहु-क्षेत्रीय राष्ट्रीय मंच (एनपीडीआरआर) का गठन भारत सरकार द्वारा दिनांक 26 फरवरी 2013 के संकल्प के अनुसरण में किया गया था । विभिन्न हितधारकों की व्यापक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए मूल संकल्प में समय समय पर संशोधन किए गए हैं । हाल ही में, भारत सरकार ने एनपीडीआरआर के सदस्यों की सूची की गहन समीक्षा की है और पिछले सभी संशोधनों को समेकित करने और एनपीडीआरआर के गठन पर एक संशोधित व्यापक प्रस्ताव जारी करने का निर्णय लिया है ।
एनपीडीआरआर की अध्यक्षता केंद्रीय गृह मंत्री और गृह मंत्रालय में आपदा प्रबंधन के प्रभारी राज्य मंत्री करते हैं और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष एनपीडीआरआर के उपाध्यक्ष हैं । गृह मंत्रालय में आपदा प्रबंधन प्रभाग के प्रभारी विशेष सचिव/अपर सचिव/संयुक्त सचिव एनपीडीआरआर के संयोजक होंगे । एनपीडीआरआर के अन्य सदस्य हैं:
एनपीडीआरआर का पहला सत्र 13-14 मई 2013 को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में "विकास में डीआरआर को मुख्यधारा में लाना: जोखिम से समुत्थानशीलता तक" विषय पर आयोजित किया गया था ।
सत्र का उद्घाटन भारत के माननीय प्रधान मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने किया और श्री सुशील कुमार शिंदे, माननीय केंद्रीय गृह मंत्री, श्री एम. शशिधर रेड्डी, माननीय उपाध्यक्ष, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और श्री मुल्लापल्ली रामचंद्रन, माननीय गृह राज्य मंत्री ने सत्र को सम्बोधित किया । केंद्र और राज्य सरकारों, गैर सरकारी संगठनों, सार्वजनिक क्षेत्र, सीबीओ और अन्य हितधारकों के 1000 से अधिक प्रतिनिधियों ने सत्र में भाग लिया ।
केंद्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने आज यहां आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए राष्ट्रीय मंच (एनपीडीआरआर) की दो दिवसीय दूसरी बैठक का उद्घाटन किया । एनपीडीआरआर की दूसरी बैठक का विषय "सतत विकास के लिए आपदा जोखिम न्यूनीकरण 2030 तक भारत को समुत्थानशील बनाना" है । इस अवसर पर केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, केन्द्रिय गृह राज्य मंत्री श्री किरेन रिजिजू और प्रधान मंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव डॉ. पी.के. मिश्रा भी उपस्थित थे । एनपीडीआरआर केंद्रीय गृह मंत्री की अध्यक्षता में एक बहु-हितधारक राष्ट्रीय मंच है और यह आपदा प्रबंधन में भागीदारीपूर्ण निर्णय लेने को बढ़ावा देता है, और हमारे देश की संघीय नीति को मजबूत करता है ।
बैठक में राज्य मंत्रियों, सांसदों, स्थानीय स्वशासन के प्रमुखों, विशिष्ट आपदा प्रबंधन एजेंसियों के प्रमुखों, शिक्षाविदों, निजी क्षेत्र के संगठनों, मीडिया और नागरिक समाज संगठनों के प्रतिनिधियों सहित 1000 से अधिक विशिष्ट अतिथियों ने भाग लिया ।