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Govt. of India
National Platform for Disaster Risk Reduction (NPDRR)

आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए राष्ट्रीय मंच का तीसरा सत्र (एनपीडीआरआर) - 2023

10-11 मार्च 2023, विज्ञान भवन, नई दिल्ली, भारत

एनपीडीआरआर-2023 विषय: बदलती जलवायु में स्थानीय समुत्‍थानशीलता का निर्माण

बदलते जलवायु में स्थानीय समुत्‍थानशीलता निर्माण विषय पर अवधारणा नोट

पृष्ठभूमि:


दुनिया भर में आपदा जोखिम बढ़ रहा है, जिससे पिछले दशकों में अर्जित विकास लाभ खतरे में है । अब यह व्यापक रूप से महसूस किया जा रहा है कि कई आपदाएँ टाली जा सकती हैं, क्योंकि वे अप्रबंधित जोखिम के परिणामस्‍वरूप घटित होती हैं । आपदा जोखिम न्यूनीकरण (डीआरआर) उपायों के पर्याप्त समावेश के बिना विकास की प्रक्रिया मौजूदा जोखिमों को बढ़ा सकती है, नए जोखिम प्रस्‍तुत कर सकती है और संभावित आपदाओं के नकारात्मक प्रभाव को और गंभीर बना सकती है । पिछले 30 वर्षों में, प्राकृतिक खतरों के कारण घटित होने वाली आपदाओं के कारण 2.5 मिलियन से अधिक लोगों की मृत्यु हुई है और लगभग 4 ट्रिलियन डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ है । वैश्विक नुकसान चार गुणा बढ़कर 1980 के दशक में 50 अरब डॉलर प्रति वर्ष से पिछले दशक में 200 अरब डॉलर प्रति वर्ष हो गया है । लगभग 75 प्रतिशत नुकसान चरम मौसम की घटनाओं और जलवायु परिवर्तन के कारण होता है, जिससे 2030 तक 100 मिलियन अतिरिक्‍त लोगों का अत्यधिक गरीबी में धकेले जाने का संकेत मिलता है (स्रोत: गरीबी पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का प्रबंधन पर विश्व बैंक की ‘शॉक वेव रिपोर्ट’)

हालांकि, पिछले दो दशकों में, आपदा राहत से एक समग्र दृष्टिकोण की ओर एक आमूलचूल परिवर्तन हुआ है; जिसके अन्‍तर्गत आपदा रोकथाम, शमन और तैयारी पर जोर दिया जाता है । भारत सरकार ने आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के अधिनियमन के साथ और माननीय प्रधान मंत्री की अध्यक्षता में एक शीर्ष प्राधिकरण अर्थात् राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की स्थापना करके डीआरआर के लिए संस्थागत व्यवस्था को सुदृढ़ किया है । सभी हितधारकों के परामर्श से राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना भी तैयार की जाती है । भारत में वर्तमान संस्थागत ढांचा केंद्र सरकार के प्रत्येक मंत्रालय/विभाग और प्रत्येक राज्य/केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन को पर्याप्त वित्तीय प्रावधान के साथ एक समग्र आपदा प्रबंधन योजना तैयार करने और लागू करने के लिए इनकी भूमिका और उत्‍तरदायित्‍व निश्चित करता है ।

भारत सरकार ने केंद्र तथा राज्य सरकारों और आपदा प्रबंधन के क्षेत्र से सम्‍बद्ध सभी हितधारकों की सक्रिय भागीदारी के साथ आपदा प्रबंधन में निर्णय लेने की एक परामर्शी प्रक्रिया विकसित करने की आवश्यकता को पहचाना है । तदनुसार, दिनांक 26 फरवरी 2013 के संकल्प द्वारा भारत सरकार ने आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए एक बहु-हितधारक और बहु-क्षेत्रीय राष्ट्रीय मंच (एनपीडीआरआर) का गठन किया था । एनपीडीआरआर एक ऐसी प्रक्रिया को परिकल्पित करता है जो संवाद, अनुभवों, दृष्टिकोणों और अवधारणों को साझा करने, अनुसंधान और कार्रवाई के निष्कर्षों की प्रस्तुति और डीआरआर क्षेत्र में आपसी सहयोग की सम्‍भावनाओं का पता लगाता है ।

एनपीडीआरआर की अध्यक्षता माननीय केंद्रीय गृह मंत्री करते हैं । गृह मंत्रालय में आपदा प्रबंधन के प्रभारी राज्य मंत्री, एनपीडीआरआर के उपाध्यक्ष हैं । एनपीडीआरआर में अन्‍य सदस्‍यों के रूप में 15 केंद्रीय मंत्री, नीति आयोग के उपाध्यक्ष, आपदा प्रबंधन से संबंधित प्रत्येक राज्य सरकार/संघ राज्य क्षेत्र के मंत्री, संसद के प्रतिनिधि, पदेन सदस्य, राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों के प्रमुख, स्थानीय स्वशासन, उद्योग, मीडिया प्रतिनिधि, नागरिक समाज संगठनों, गैर सरकारी संगठनों और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधि शामिल है ।

विकास में डीआरआर को मुख्यधारा में लाना: जोखिम से समुत्‍थानशीलता तक" विषय पर एनपीडीआरआर का पहला सत्र 13-14 मई 2013 को नई दिल्ली में आयोजित किया गया था । इसका आयोजन ह्योगो फ्रेमवर्क ऑफ एक्शन के कार्यान्वयन को प्रोत्साहित करने और डीआरआर में वैज्ञानिकों, आपदा प्रबंधन विशेषज्ञों और पेशेवरों के एक पूल को सृजित करने के उद्देश्य से किया गया था ।

सतत विकास के लिए आपदा जोखिम न्‍यूनीकरण: 2030 तक भारत को समुत्‍थानशील बनाना" विषय पर एनपीडीआरआर का दूसरा सत्र 15-16 मई 2017 को नई दिल्ली में आयोजित किया गया था । बैठक में डीआरआर पर प्रधानमंत्री के 10 सूत्री एजेंडे और आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए सेंदाई फ्रेमवर्क (एसएफडीआरआर), पेरिस जलवायु समझौते और सतत विकास लक्ष्‍यों के एकीकृत कार्यान्वयन में इसकी प्रासंगिकता पर विशेष ध्यान देने के साथ-साथ आपदा जोखिम प्रबंधन से संबंधित उभरते मुद्दों पर विचार-विमर्श को चिन्हित किया गया ।

एनडीपीआर के तृतीय सत्र के विषय में:


इससे पहले, ‘’आपदा जोखिम न्‍यूनीकरण को मुख्‍य घारा में लाना’’ विषय पर एनपीडीआरआर का तीसरा सत्र 5-6 मई 2020 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में निर्धारित था । हालांकि, उस समय कोविड-19 के कारण यह कार्यक्रम आयोजित नहीं हो सका ।

अब 10-11 मार्च 2023 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में एनपीडीआरआर के तीसरे सत्र के आयोजन की योजना बनाई गई है । राष्ट्रीय मंच सभी हितधारकों (मंत्रालयों और विभागों, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों, संगठनों/संस्थानों, गैर सरकारी संगठनों/सीएसओ, शैक्षणिक संस्थानों और निजी क्षेत्र के संघों आदि सहित) को सीखने, सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने, डीआरआर पर उनकी पहल पर पुर्नविचार और समीक्षा करने और भविष्य के लिए उनकी गतिविधियों की योजना बनाने का अवसर प्रदान करेगा । राष्ट्रीय मंच के तीसरे सत्र का मुख्य विषय "बदलते जलवायु में स्थानीय समुत्‍थानशीलता निर्माण" है, जो कि जलवायु परिवर्तन के मद्देनजर स्थानीय क्षमताओं का निर्माण करने के लिए, विशेष रूप से तेजी से बदलते आपदा जोखिम परिदृश्य के संदर्भ में, पीएम के 10-सूत्रीय एजेंडे के साथ जुड़ा हुआ है ।

विषय:


भारत में आपदाओं की बढ़ती आवृत्ति और तीव्रता तथा चरम मौसम की घटनाओं का घटित होना हमारी कड़ी मेहनत से अर्जित विकास लाभ को नष्ट कर सकते हैं । जलवायु परिवर्तन के कारण आपदाओं की बढ़ती आवृत्ति अधिकतम मानवीय और आर्थिक क्षति का कारण बन रही है, जिसका दीर्घकालिक डीआरआर नीति और दृष्टिकोण के माध्यम से अधिक तैयारी के साथ प्रत्‍युत्‍तर देने की आवश्यकता है । बदलते जलवायु में आपदा प्रबंधन के लिए एक व्यवस्थित दृष्टिकोण के लिए तात्कालिकता और स्थानीय और सामुदायिक स्तरों पर जोखिम न्‍यूनीकरण के लिए अधिक निवेश की आवश्यकता है । इसे ध्यान में रखते हुए, एनपीडीआरआर के तीसरे सत्र का केंद्रीय विषय "बदलते जलवायु में स्थानीय क्षमताओं का निर्माण" रखा गया है ।

एनपीडीआरआर का तीसरा सत्र आपदा प्रबंधन में मौजूदा चुनौतियों, सीखने की प्रवृति को साझा करने और देश स्तर के अनुभव पर आधारित भविष्य की कार्रवाई के लिए सिफारिशें तैयार करने के लिए सभी हितधारकों को एक मंच पर लाने का एक उत्कृष्ट अवसर होगा । जलवायु परिवर्तन के मद्देनजर तीसरा सत्र आपदा प्रबंधन प्रथाओं को मंत्रालयों और विभागों, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों, शहरी और ग्रामीण स्थानीय-स्व-सरकारों, शैक्षणिक संस्थानों, गैर-सरकारी संगठनों, सीएसओ, सार्वजनिक उपक्रमों और समुदायों में इन्‍हें मुख्यधारा में लाने में भी मदद करेगा ।

उद्देश्य:


एनपीडीआरआर के तीसरे सत्र के उद्देश्य हैं:

अपेक्षित परिणाम:


एनपीडीआरआर के तीसरे सत्र के अपेक्षित परिणाम इस प्रकार हैं:

सत्र योजना:


इस कार्यक्रम में चार पूर्ण सत्र, एक मंत्रिस्तरीय सत्र और आठ विषयगत सत्र शामिल होंगे ।

पूर्ण अधिवेशन:


दो दिनों के दौरान चार पूर्ण सत्र निम्नानुसार प्रस्तावित हैं:

मंत्रिस्तरीय सत्र:


माननीय केंद्रीय गृह मंत्री की अध्यक्षता में एक विशेष मंत्रिस्तरीय सत्र भी आयोजित किया जाएगा । उद्घाटन सत्र के ठीक बाद 10 मार्च, 2023 को सत्र निर्धारित है । मंत्रिस्तरीय सत्र के दौरान, राज्य और जिला स्तर पर आपदा प्रबंधन प्रणालियों को मजबूत करने (जैसे राज्य और जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों की क्षमता बढ़ाकर) से संबंधित मुद्दों पर विचार-विमर्श किया जाएगा । इसमें राज्य आपदा प्रतिक्रिया बलों की स्थापना, और राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में क्षमता निर्माण जैसें अन्य मुद्दे शामिल होंगे । राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से अपेक्षा की जाती है कि वे अपने अनुभव और सीखे गए सबक साझा करें ।

विषयगत सत्र:


निम्नलिखित विषयों पर आठ विषयगत सत्र प्रस्तावित हैं:

एनपीडीआरआर के तीसरे सत्र के कार्यक्रम की अस्‍थायी अनुसूची संलग्न है ।

अन्‍य कार्यक्रम:


पूर्व-आयोजन: एनपीडीआरआर के तीसरे सत्र तक, देश भर में 17 पूर्व आयोजनों की योजना बनाई गई है, इस दृष्टिकोण से कि इन आयोजनों का निर्गम समग्र चर्चा और परिणामों में योगदान देगा । अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें

प्रदर्शनी/सूचना प्रदर्शन: इस कार्यक्रम के दौरान आपदा जोखिम प्रबंधन, बचाव और प्रतिक्रिया संबंधी उपकरणों/उत्पादों पर प्रकाशनों/आईईसी सामग्री की प्रदर्शनी आयोजित की जाएगी ।

0लघु फिल्म प्रतियोगिता: एनपीडीआरआर के तीसरे सत्र के भाग के रूप में एक लघु फिल्म प्रतियोगिता भी प्रस्तावित है । प्रतियोगिता के विजेताओं को कार्यक्रम के दौरान सम्मानित किया जाएगा ।